tag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post1828280707012574924..comments2023-02-28T01:58:34.477-08:00Comments on मंथन: चिंटू के स्कूल की छुट्टी ?नही!!!!!!!!!Radhika Budhkarhttp://www.blogger.com/profile/11776018648214285308noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-16540549550548500702008-08-28T18:55:00.000-07:002008-08-28T18:55:00.000-07:00आप सभी को धन्यवाद !आप सभी ने मेरे विचारो से सहमती ...आप सभी को धन्यवाद !आप सभी ने मेरे विचारो से सहमती जताई अच्छा लगा ,राज जी आपको बहुत बहुत बधाई कि आप अपने बच्चो को उनका बचपन जीने का मौका दे रहे हैं ,साथ ही समस्त यूरोप वासियों को भी हार्दिक बधाई ,यही बात समझनी हैं हम सभी को ,बच्चे नन्हे पौधे कि तराह होते हैं ,बोनसाई करके हम उनको छोटी उम्र में बड़ा बना देते हैं,पर उनकी नैसर्गिक सुन्दरता खो जाती हैं.यह उनके साथ ग़लत वहय्वार ही हैं हमारा .Radhika Budhkarhttps://www.blogger.com/profile/11776018648214285308noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-53608706870863859412008-08-28T17:40:00.000-07:002008-08-28T17:40:00.000-07:00भारतीय समाज आज सब कुछ एकदम से हासिल करने के फास्ट ...भारतीय समाज आज सब कुछ एकदम से हासिल करने के फास्ट ट्रेक रास्ते पे चल रहा है -<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-26060204617114282942008-08-28T11:01:00.000-07:002008-08-28T11:01:00.000-07:00रधिका जी मे आप की बात से सहमत हू, भारत मे बचपन खो ...रधिका जी मे आप की बात से सहमत हू, भारत मे बचपन खो गया बिलकुल सही,ओर जब भी कभी भारत आया यही सब देखा जो आप ने अपने लेख मे लिखा हे... लेकिन यह सब क्यो ?? मुझे इस क्यो का जबाब भारत मे नही मिला, क्यो कि किसी के पास हे ही नही, ओर बच्चे भी रटा लगा कर पढ रहे हे..<BR/>यहां मेरे दोनो बच्चे इस साल ११ वी मे गये हे, जब यह ३ साल के थे तो किन्डर गर्डन मे गये, जहां यह ३ साल रहे, इन तीन सालो मे इन्होने वहा कोई पढाई नही की, जब वहा से आना था तो अपना नाम लिखना सिखा, फ़िर पहली से आज तक इन का टाईम टेबल.. सुबह ७,३० पर घर से गये , ८ बजे स्कुल शुरु, ११,४५ तो कभी १२,४५ पर छुट्टी १,३० तक घर आये, खाना बगेरा खाया, थोडी देर टीवी देखा, फ़िर स्कुल का काम पुरा किया ( करीब एक घण्टा ) फ़िर सारा दिन मोज मस्ती.. गर्मियो की छुट्टियो मे कोई होम वर्क नही, शुकर वार को कोई होम वर्क नही, कोई रटा नही, कोई दवाव नही, ओर यह सिर्फ़ मेरे ही बच्चो के साथ नही पुरे युरोप मे सारे बच्चो के साथ हे, तो यह दवाव भारत मे ही क्यो, ओर मजे दार बात जो नये लोग भारत से यहां आते हे साथ मे दवाव भी ले कर आते हे,ओर तभी हमारे बच्चे दबू बन जाते हे.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-88908843733185060092008-08-28T10:54:00.000-07:002008-08-28T10:54:00.000-07:00अब बचपन कहाँ नजर आता है?अब बचपन कहाँ नजर आता है?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-85581818978039308322008-08-28T10:24:00.000-07:002008-08-28T10:24:00.000-07:00बचपन की खोती जा रही हँसी पर रोने का वक़्त कसके पास ...बचपन की खोती जा रही हँसी पर <BR/>रोने का वक़्त कसके पास है ?<BR/>वक़्त से पहले बच्चों को प्रौढ़ बनाने <BR/>वाली शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा विदों के बचपने का <BR/>अनोखा उदाहरण है ! साँस रोककर जीता हुआ आज <BR/>कल ज़िंदगी की बेशुमार खुशियाँ कैसे दे सकता है,<BR/>इस पर सही सोच को हवा देने का वक़्त आ गया है. <BR/>आपकी यह प्रस्तुति उस दिशा में एक कदम...एक पहल भी है.<BR/>=============================================<BR/>बधाई और शुभकामनाएँ <BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-86482169230285396902008-08-28T08:12:00.000-07:002008-08-28T08:12:00.000-07:00सचमुच बचपन खो गया है....!!!!बिल्कुल सहमत हूँ आपसे....सचमुच बचपन खो गया है....!!!!बिल्कुल सहमत हूँ आपसे.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-59131705318898755592008-08-28T06:36:00.000-07:002008-08-28T06:36:00.000-07:00जी हाँ बचपन खो गया है.....ओर उसे खोये हुए ज़माना बी...जी हाँ बचपन खो गया है.....ओर उसे खोये हुए ज़माना बीत गया है....एकल परिवार......प्रतिस्पर्धा..ये भी कारण है पर एक बात ओर है पहले आप को कुछ बनने के लिए म्हणत करनी पड़ती थी ...अब ऐसा नही है आप अपने बच्चे को जो बनाना चाहे बना सकते है डोनेशन दे कर डॉ .......इंजीनियरडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5423942621764459145.post-34489796315187705062008-08-28T04:49:00.000-07:002008-08-28T04:49:00.000-07:00सचमुच बचपन खो गया है....९८% वाले बच्चों की दुनियाँ...सचमुच बचपन खो गया है....९८% वाले बच्चों की दुनियाँ हो गई है.<BR/><BR/>आज तो हालत ऐसी है कि बच्चे खोते नहीं हैं.....आख़िर बचपन जो खो गया है.Shivhttps://www.blogger.com/profile/05417015864879214280noreply@blogger.com