Wednesday, August 6, 2008


मात रागिनी

हे शारदे जगद्व्यापिनी
वीणा वादिनी कला साधिनी
जगन्मात जय शुभ वर दायिनी
आदि शक्ति माँ त्रिभुवन धारिणी
संगीते हे सामगायिनी
वाणी,जननी,अघ्यान हारिणी
जयतु जयतु मात रागिनी
जय वागेश्वरी,ब्रह्मचारिणी
शुद्ध स्वर दे ,नाद स्वामिनी

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