Tuesday, August 19, 2008

उफ़ ये बच्चे

उफ़ ये बच्चे

आजकल के बच्चे उफ़ !!!!!!!!!

इनका नाम लेने भर से ही अच्छे अच्छो के पसीने छुट जाते हैं,हमें हमारे बचपन के दिन नही याद आते,अलबता हमारी नानी जरुर याद जाती हैं,आजकल के बच्चे जैसे झरने का मनमौजी प्रवाह ,सागर की लहरों की ऊँची- ऊँची उठान,जैसे झमाझम बारिश ,जैसे ठंडी हवाओ की मस्त रवानी,आजकल के बच्चे जिनके सामने हम ही नही,सारे संसार के सृजक स्वयं ब्रह्मा भी नतमस्तक हो जाते हैं,ये बच्चे नही, तूफानी नदियाँ हैं.
ये बच्चे ............................
क्या - क्या उपमा दू इन बच्चो को?और क्या- क्या बताऊ इन बच्चो के बारे में,इनकी शैतानियाँ देखकर मेरे तो होश ही उड़ जाते हैं,ये जब अपने रंग में आते हैं दुनिया को रंग जाते हैं,ये जब हसते मुस्कुराते हैं.................................सामने वाले......................................अपनी दशा पर आंसू बहते हैं:-)

तो भई ये हैं किस्सा आजकल के बच्चो का,मेरी वर्षीय बेटी कम्प्यूटर ऑन,ऑफ़ करना जानती हैं,उसे पता हैं कि गाना रियलप्लेयर में चलेगा,मेरे हाथ से माउस छीन कर ख़ुद उसे क्लिक करती हैं,मेरे रिश्तेदारों में एक की बेटी का नाम हैं श्रेया,उसके लिए घर,घर नही तोड़फोड़ क्लब हैं,उनके घर में कोई भी चीज़ ठीक नही रही,हर चीज़ के बत्तीस बत्तीस टुकड़े हो चुके हैंमेरी बेटी, टीवी में मन चाहे चेनल लगाती हैं और मनपसंद गानों पर नाचती हैं,उसे देखकर मुझे चक्कर जाते हैं,मैं उसकी उम्र मैं मम्मा की गोद में बैठ कर टसुए बहाया करती थी

आजकल के बच्चो को पता हैं की किसे कैसे अपना बनाया जाए,सबके सामने कैसे पेश आया जाए, किससे कैसे दोस्ती की जाए, क्लास का एक बच्चा!उसे उसके टीचर की पुरी कहानी पता हैं ,कहता हैं उनका तलाक होने वाला हैं,मैं सुनकर भौचक !इन्हे तलाक भी पता हैं? पहली क्लास के अनुज की गर्ल फ्रेंड हैंऐसा वह कहता हैं!!!!!!!!!!!!!!!

ये तो छोडिये, जिस उम्र में हम, आप ठीक से बालो की कंघी नही कर पाते थे ,उस उम्र में ये जानते हैं की इन पर कौनसा हेयर स्टाइल सूट करेगा,कब कहा कौनसे कपड़े जचेंगे, क्लास की कीर्ति ऐसे सजती हैं की कोई हिरोइन भी उसे देखकर शर्मा जाए ,नन्ही आरोही अभी ठीक से चलना नही जानती पर मेकप ब्रश का इस्तेमाल कैसे करते हैं बखूबी जानती हैं.
जिस उम्र में हम अपने रिश्तेदारों के सामने गाने में शर्माते थे ये बच्चे बड़े- बड़े रियलिटी शो में गाते हैं,जिस उम्र में हम डांस के लिए पैर भी नही उठाते थे ,ये झूम कर नाचते हैं, बड़े बडो को नचवाते हैं
हम नाक बहाते हुए मास्टर जी की संटिया खाते हुए पे-पे करते थे, पर आजके बच्चे टीचर को भी चार बातें सिखा देते हें

धन्य हैं आज के बच्चे
मुझे तो लगता हैं कि पहले कही, नन्द ग्राम में एक कृष्ण था,कभी किसी एक कन्हैया ने माखन चुराया था ,कोई एक चितचोर था,पर आजकल तो हर घर में कृष्ण हैं,कान्हा हैं,मनमोहन हैं
अजी यही नही उनसे भी बढ़कर नन्ही- नन्ही मन- मोहनिया हैं,कृष्णइया हैं .ये सब उसी कृष्ण के ग्रुप के सदस्य हैं,उसी के लोक में रहा करते थे अब धरती पर आए हैं,इन सब कृष्ण क्रिश्नियो को मेरा नमन! मैं तो इनके सामने हार चुकी हूँ और एक ही बात कह सकती हूँउफ़ ये बच्चे .................उफ़ ये बच्चे .............................................................................