Wednesday, August 27, 2008

मोबाईल,कलाकार और रिंगिंग ध्वनी


फुनवा के दिन बीते रे भैया अब मोबाईल आयो रे ,गीत खुशियन का लायो रे .............ओ SओS ओS ओS ओ................ तो जे हैं आज के जुग की सबसे बड़ी ख़बर, कि गाँव गाँव और शहर शहर मा मोबाईल पहुँच गयो हैं ,पानी नही पहुँच पायो ,स्कूल नही आयो ,पहुंचे गयो हैं मोबाईल,ओ ओ काकी .....ओरी ताई जरा सुनियो .......का कहत हैं जे राधिका ,का बतावत हैं?नई कहानी ...............न हैं कोई राजा न कोई रानी ,कुछ गीतों कि जुबानी ,कड़वी खट्टी बानी ।

तो सुनिए भाईसाहब,और दीदी जी यह हैं मोबाईल और उसकी रिंगिंग टोन कि कहानी........

पिछले कुछ साल से मोबाईल टेक्नोलोजी में क्रन्तिकारी परिवर्तन हुए हैं ,सुधारनाए हुई हैं,कहाँ तो लोग ऐस. टी. डी. के लिए पब्लिक बूथों पर लम्बी लम्बी लाइन लगाते थे और कहा अब घर घर में फ़ोन हो गया हैं,अजी! घर घर की कहानी क्या सुनानी?वही नाना वही नानी ,यहाँ तो हेर जेब में हर पर्स में फोन हैं यानि आज के युग का सर्वाधिक तीव्र गप्पे मारने का साधन हैं मोबाईल। रोज़ नए नए ढंग के मोबाईल बाज़ार में उतारे जा रहे हैं,गाने वाला मोबाईल,सुनने वाला मोबाईल,फोटो वाला मोबाईल,वीडियो वाला मोबाईल,कम पैसे वाला मोबाईल,ज्यादा पैसे वाला मोबाईल,लड़कियों के लिए सुंदर गुलाबी मोबाईल,तो लड़को के लिए ज्यादा तकनिकी गुणवत्ता वाला मोबाईल,हर शहर कि हर गली में एक मोबाईल स्टोर और हर स्टोर में हजारो तरह के मोबाईल ।
क्या हैं न कि भारतीय जनता आवश्यकता से अधिक संगीत प्रेमी हैं ,इसलिए हर मोबाईल में गाने डाउनलोड करने,भेजने,सुनने सुनाने कि उत्तम वयवस्था ,फ्री रिंग टोन और इस सब में गत बजाने वाले कलाकार कि दुर्गत ।

जी हाँ इस मोबाईल ने जहाँ आम जनता को सुख समुद्र में डुबो रखा हैं वही कलाकारों को आंसू निकालने पर भी मजबूर कर दिया हैं । अब मेरी ही बात लीजिये ,२ साल पहले मुंबई में एक काफी बड़े कार्यक्रम में, काफी बड़े हॉल में वीणा वादन की प्रस्तुति दे रही थी , मेरा और सभी श्रोताओ का मन वीणा की सुरील लहरियों में खो चुका था की अचानक किसी का मोबाईल बजा ........... मुन्ना भाई MBBS,मुन्ना भाई .................

एक अन्य कलाकार के साथ तो इससे भी बुरा हुआ ,ख्याल गायन चल रहा था ,बोल थे
"आज आनंद ही आनंद गोकुल में ,आज आनंद ही आनंद" ,श्रोता भी आनंद से विभोर हो रहे थे,एक महिला का मोबाईल बजा .....आ सोचा तो आंसू भर आए मुद्दते हो गई मुस्कुराये ...........

एक संगीत विद्यालय का गुरुपूर्णिमा उत्सव चल रहा था ,गुरु जी गा रही थी ,गुनियन की सुनो गुनियन की मानो ,जो माने गुनियन की सो सब सुख पावे ,एक विद्यार्थी का मोबाईल बजा ............ऐसी की तेसी क्या कर लेगा जमाना .............


एक संगीतकार राग दीपक में गा रहे थे "धरती जले अम्बर जल रहा" ....किसी का मोबाईल बजा ............. "रिमझिम रिमझिम बरसे बदरिया आज मोरे अंगना .."

अजी यह भी सह लिया लेकिन कुछ लोगो के मोबाईल की रिंगिंग टोन तो इतनी अजीब अजीब किस्म की होती हैं की क्या कहिये ,अब सुनिए जब एक रिंगिंग टोन की वजह से मेरा हार्टअटेक होते होते रह गया । हुआ यूँ की मैं बजा रही थी कोमल स्वभाव वाला राग बिहाग,सब सुनने में मगन ,एकदम पिन ड्राप साइलेंस था,बस मेरी वीणा के स्वर गूंज रहे थे,अचानक ऐसी भयंकर आवाज आई मानों सौ-सौ पहाड़ एक साथ गिर गए हो ,भूकंप आ गया हो.मेरा दिमाग हिल गया ,हाथ से शालिग्राम शिला (जिससे मैं वीणा बजाती हूँ)उछली और सीधे पब्लिक के पास जा गिरी,मेरे होश फाख्ता!१ मीनट बाद मैं और श्रोता दोनों को समझ आया की आख़िर हुआ क्या हैं? दरसल एक महाशय का मोबाईल बजा ,रिंगिंग टोन थी - एक दैत्य की हँसी -जी यह उस रिंगिंग टोन का नाम था ,और उसमे बिठायी गई थी,डरावनी,जोरदार,भयंकर हँसी,वो भी पुरी आवाज में .........महाशय को झिड़का ,हॉल से बाहर जाने का निर्देश दिया,दिमाग को शांत किया फ़िर कही जाकर वीणा वादन शुरू हुआ .

तो ऐसी बुरी अवस्था कर डाली हैं इस मोबाईल ने हम कलाकारों की क्या कहियेगा की हमे अब गाने वाले मोबाइलों से डर लगने लगा हैं जी,लोगो को एक पल भी मोबाईल के बिना जी लगता नही और मोबाईल अगर बज जाए तो हमसे कुछ बजता नही ।