Monday, August 25, 2008

अजी सुनते हो ?


अजी सुनते हो?महारानी के कक्ष में से एक तीव्र आवाज आई,घर के महाराज रंककुमार जी हडबडा कर पेपर निचे रख कर उठ बैठे और मिमियानी सी आवाज में कहा............................... "आया छुटकू की अम्मा"!डरते-डरते लडखडाते कदमो से महारानी दुर्भाग्यमती जी के कक्ष में पहुँचे,और ह्रदय पर हाथ रखकर धीमे स्वर में पूछा,क्या हुआ दुर्भागीदेवी? फ़िर एक तीव्र आवाज़ आई, मानो करेले की सारी कड़वाहट स्वर में भर गई हो................"सुबह से पेपर मुंह पर चिपकाए बैठे हो ,दीखता नही,छुटकू कब से रो रहा हैं,मुझे अभी सतरा काम हैं ,तुम तो कुछ करोगे नही,सब जगह मुझे ही मरना हैं ,कल कहा था जरा इलेकट्रीशियन को बुला लाओ,कूलर काम नही कर रहा ,पर तुम्हे अपने पेपर से फुर्सत मिले, तब न ?"रंक महाराज जी घर कि हालत से अच्छे से वाकिफ़ थे मियाँ - बीवी दोनों के नौकरी करने के बाद भी इस महानगरी में घर का खर्च पुरा नही बैठता था,उपर से ये रोज़ रोज़ की झिक झिक !शांत स्वर में बोले..नाराज़ क्यो होती हो मधु, अभी बुला लता हूँ । फ़िर शब्दों कि मार .."अब अभी जाने कि जरुरत नही हैं ,जरा मौका मिला नही बहार जाने का की खुश!घर में सारे काम बाकी हैं ऑफिस भी जाना हैं,छुटकू को संभालो." बेचारे चुप मार के रह गए ।

तीन घंटे बाद .................................................................................................
"दुर्भागी................................... " मेरे मोजे कहाँ हैं ,जूते कहाँ गए ?और मेरा ब्रेकफास्ट तैयार हुआ कि नही?तबसे छुटकू को लिए बैठा हूँ पर एक काम समय से हो तब न ,न जाने सारा समय कहाँ लगा देती हो ,और अब निकले या अभी भी साज श्रृंगार बाकी हैं?सारी फैशन इंडसट्री तो इनकी वजह से ही चल रही हैं,घंटो आईने के सामने खड़े होने के बाद भी मेकप पुरा ही नही होता,ऑफिस जा रहे हैं शादी में नही॥
दुर्भागी को मन ही मन गुस्सा आ रहा था,पर इस समय बोलने का मतलब था मुसीबत मोल ले लेना ,चुप रह गई ।

रात के ९ बजे .................."आते ही घर में टीवी,मैं कुछ कह रही हूँ पर ध्यान सुनने में हैं ही नही ,आज छुटकू कि मेडम कह रही थी कि कल पुरी फीस देनी हैं ,और मकानमालिक का किराया भी देना हैं,वाशिंग मशीन का इंस्टालमेंट देना भी बाकी हैं, इस बार अभी तक मेंटेनेंस भी नही दिया हैं.और ........... । अब रंक महाराज के सब्र का अंत हुआ,अँधेरी अमवास के काले बादल कि तरह या ..........भूकंप की तेज़ ध्वनी कि तरह......... गरजे ......."चुप करो घर में आते ही चिक- चिक-चिक-चिक जरा शान्ति से दो क्षण भी बैठने दोगी या नही?जरा भी टीवी नही देखने देती,आज से मैं टीवी देखूंगा ही नही .माँ ने सोचा था शादी के बाद बेटे को जरा सुख शांति मिलेगी ,पर यहाँ तो दिन रात की चिकचिक । " टीवी बंद................................... महारानी की बडबड शुरू। "हां मैंने भी सोचा था महारानी की तरह रहूंगी माँ बाप ने शादी कर दी और मैं भुगत रही हूँ" आसुंओ का सैलाब ..............और फ़िर शांति,किसी महायुध्द के बाद कि शांति कि तरह ।
६दिन बाद ..............आज दुर्भागी देवी जी की तबियत ठीक नही,बिस्तर पर पड़ी हैं और ये कौन हैं ?जो गरमा-गरम सूप लिए आ रहा हैं । अरे यह तो हमारे रंकमहराज हैं ........."सुनो मधुमालती ये सूप पिलो अच्छा लगेगा और छुटकू को मैं सुला देता हूँ,तुम चिंता मत करो",इस स्नेहिल भेंट से दूरभाग्यमति के अन्दर की मधुमालती जागी, वीणा से मधुर,कोयल की कुहू से मधुर स्वर में बोली... "सुनिए जी ! आप पर उस दिन यूँही नाराज़ हुई,मैं जानती हूँ की तुम नौकरी कि वजह से बहुत परेशान हो,उपर से मेरी झिकझिक, मुझे माफ़ कर दो अब मैं तुम्हे कुछ नही कहूँगी"।

दिन बाद............. "अजी सुनते हो,सारा दिन बस दोस्तों से टेलीफोन पर बातें चलती रहती हैं यह नही कि जरा छुट्टी हैं तो बिल जमा कर आयेंगे ",सामने से दूसरी आवाज़............."शुरू हो गई महारानी की चिकचिक जा रहा हूँ, कर रहा हूँ,जरा धीरज रखा करो। "
मंच पर पटाक्षेप ...............

तो भाइयो और बहनों यह था नाटक "शादी"....
और यही हैं शादी कि हकीक़त,पल में प्यार पल में तकरार । जिन्दगी भर यही चलता हैं पर फ़िर भी साथ रहता हैं ,रिश्ता बना रहता हैं , यही हैं शादी .सारे रिश्तो से उपर,अनोखा सुंदर रिश्ता,पति-पत्नी का जैसे हमारे रंक महाराज महारानी का.. .........................................



फोटो -http://cas.bellarmine.edu/ ://wedding.dharmeshpatel.कॉम से साभार

क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ?


फ़िल्म तारे जमीं पर बहुत अधिक लोकप्रिय हुई ,न जाने कितने बच्चे-बुढे इस सिनेमा को देखकर रोने लगे,न जाने कितनो को अपना बचपन याद आया,और यह गाना ..............."मैं कभी बतलाता नही ,पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ ,भीड़ मैं यु न छोडो मुझे,घर लौट के भी आना पाऊ माँ,क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ..................
इस गीत बोलो ने सभी के अंतर्मन को छू लिया, एक बेटे की माँ को करुण पुकार ..मानो हर मन की बात इस गीत के शब्दों में कही गई हो ।

संसार में हर एक इन्सान को ईश्वर की और से मिलने वाला सबसे सुंदर रिश्ता होता हैं माँ का .माँ मानो माँ नही होती वह सारी उपमाओ,नामो,संघ्याओ से परे एक ऐसा दिव्य ईश्वरीय तत्व होता हैं जो हर व्यक्ति के लिए अनमोल होता हैं।

बचपन में माँ जब मेरे साथ होती थी तो लगता था जैसे एक सुरक्षा आवरण मेरे चारो और फैला हुआ हैं,एक अलग ही तरह की ज्योतिर्मयी रश्मिया मैं अपने चारो और महसूस करती थी,और महसूस करती थी सुरक्षा ।
मुझे लगता हैं कि हर बच्चे के लिए माँ यही स्थान रखती हैं,उसे माँ के पास होते समय बहुत अच्छा महसूस होता हैं,उस समय वह सारे संसार का राजा होता हैं,और कोई उसका कुछ नही बिघाड सकता ।

समय बहुत बदल गया हैं ,आज स्त्रियों ने भी उच्च शिक्षण प्राप्त कर लिया हैं ,और वे भी ऊँचा कैरियर कर नाम कमा रही हैं ,दिनों दिन महंगाई बढती जा रही हैं और पैसे कि जरूरते भी । इस कारण भी स्त्रियों को मज़बूरी में नौकरिया करनी पड़ रही हैं ।पर वो जो अभी नन्हा बच्चा हैं ,जो अभी ठीक से चलना,भागना भी नही जानता हैं ,जो अभी तक अपने सारे काम तक नही करना जानता हैं वो क्या जाने कि जिन्दगी कितनी कठिन हैं और माँ को कैसे ह्रदय पर पत्थर रखकर काम के लिए निकलना पड़ता हैं,वह सिर्फ़ माँ चाहता हैं ,उसका थोड़ा समय चाहता हैं .हम आप तो ईश्वर में विश्वास रखते हैं ,मुसीबत,दुःख के समय उसके पास दौडे चले जाते हैं ,पर उसे तो यह तक नही पता कि ईश्वर होता क्या हैं। उसके लिए तो उसकी माँ ही ईश्वर हैं ,संसार के सभी लोग,पदार्थ बाद में हैं पहले हैं तो उसकी माँ।

कुछ दिन पहले एक न्यूज़ आई थी कि कैसे एक नौकरानी उसके भरोसे छोड़ ऑफिस गई एक माँ की नन्ही सी फूलकुमारी को बुरी तरह से मारती हैं ,देखकर दिल दहल गया ,सच हैं मानवीय संवेदनाये जहाँ अपनों में खत्म होती जा रही हैं तो वह तो महज नौकरानी हैं, वह किसी के बच्चे की क्यों अपने बच्चे कि तरह परवरीश करेगी.अपवाद हो सकते हैं ।
जिन माताओ का बच्चो को छोड़ जाना अति आवश्यक हैं उनका दुःख मैं समझ सकती हूँ,पर मैंने बहुत सी ऐसी माताओ को भी देखा हैं ,जिन्होंने इन सब के बीच मैं से मध्यम मार्ग निकाला है ,ताकि वे अपने बच्चो को अपना समय और प्यार दे सके।
बच्चो का दुःख,माँ से दूर जाने का त्रास माँ ही समझ सकती हैं ,आख़िर उनके कोमल हृदयों में से यह पुकार निकलना कितना सही हैं कि.. ...........................................................................भीड़ में यु न छोडो मुझे , क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ।


बेबी फोटो //www.mummieandme.co.uk/ से साभार