Saturday, August 30, 2008

सपने कितने अपने ........


कल रात मुझे एक सपना दिखा कि, मैं एक बहुत बहुत ऊँची पहाडी पर पहुँची हूँ,वह पहाडी बहुत सुंदर हैं,चारो तरफ़ पेड़ पौधे हैं,हिरन हैं,मोर हैं ,चिडिया हैं ,और उस पहाडी के निचे नीले रंग से परिपूर्ण सुंदर समुन्दर हैं,उपर तक उठने वाली लहरे मानो हवा से आंखमिचोली खेल रही हैं, बडा विशाल समुन्दर,उसका पानी इतना साफ कि पानी तैरने वाली मछलिया और सीपिया भी साफ साफ दिखाई देखते रही थी ,पहाडी पर एक मन्दिर हैं ,जहाँ कुछ भक्तगण भजन पूजन कर रहे है ,मन्दिर में स्थापित देव मूर्ति ह्रदय को शांत कर रही हैं.

सपनो के बारे में जानना ,सपनो को समझने की इच्छा छोटे बच्चो से लेकर बडो तक पायी जाती हैं .सपने मानव के लिये कौतुहल का विषय रहे हैं ,सपनो कि अपनी अलग दुनिया हैं,अलग ठोर ठिकाना हैं,एक अलग ही लोक हैं.सपने कहाँ से आते हैं?कभी कभी इतने आते हैं और कभी बिल्कुल नही आते हैं,अभी भी पुरी तरह से यह सिध्द नही हो पाया हैं. विघ्यान इतना आगे बढ़ गया हैं जहाँ वैज्ञानिक सपनो कि पहेली सुलझाने में लगे हैं ,वही आम इन्सान सपनो कि अपनी अपनी तरह से व्याख्या करता रहता है .

कहते हैं सपनो के निर्माण में दिमाग का पिछला हिस्सा अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं ,यही सपनो कि उत्पप्ति होती हैं.हम जो कुछ भी दिन भर में देखते हैं ,करते हैं,वही सारी बाते सपने बनकर हमें दिखाई देती हैं ,जीते जी इन्सान कि इच्छाए कभी खतम नही होती,वह कुछ पाना चाहता हैं ,और वह उसे नही मिलता तो सपने के रूप में व्यक्ति वह वस्तु पाकर अपनी इछाये पुरी करता हैं ,कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि,यह एक प्रकार कि दिमागी सफाई की प्रकिया हैं,हम एक दिन में कितने ही लोगो से मिलते हैं ,इधर उधर की बाते सुनते समझते हैं,कई बार ऐसी बाते भी चाहे अनचाहे सुनते हैं ,जिनसे हमारा वास्ता नही होता ,इसलिए उन अनुपयोगी चीजों को सपनो के माध्यम से मस्तिष्क से बहार निकाला जाता हैं .
हमारी निजी ज़िन्दगी से सपनो का गहरा ताल्लुक होता हैं ,विघ्यान कुछ भी कहे पर एक बात सत्य हैं की सपने सिर्फ़ गार्बेज या हमारे अंत:करण में दबी इच्छाओ को पुरा करने का साधन मात्र नही हैं .हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सपने देखने में लगाते हैं,सोते समय हमारे दिमाग की नसे ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं .सपने हमारे लिये कई बार जीवन की समस्याओं को सुलझाने में मदद करते हैं ,कई बार उचित मार्ग दर्शन भी देते हैं ,मैं ऐसे लोगो को जानती हूँ ,जिन्होंने सपनो से बहुत कुछ सिखा हैं,कुछ संगीतकारों ने मुझे बताया की उन्होंने फला राग ,फला बंदिश सपने से सीखी ,सपने भविष्य दर्शन भी करवाते हैं ,आज जो हमने देखा हो सकता हैं की वह आने वाले समय में सच हो जाए ,और ऐसा होता हैं ,जिन लोगो का सिक्स्थ सेंस ज्यादा ऊँचा होता हैं ,वे ऐसे भविष्य दृष्टा सपने देखते हैं .

ये तो हुई बात रात को सोते समय देखे जाने वाले सपनो की ,पर हम दिन में भी सपने देखते हैं,जिनका सच होना कम सम्भव होता हैं ,और जो सपने हम आँख खोल कर देखते हैं,उनका तो कहना ही क्या ?सबसे ज्यादा आनंद जागते हुए सपने देखने में हैं ,हम जब जागते हुए अच्छे सपने देखते हैं ,तो हमें कई % सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती हैं ,बच्चे ,बुढे ,जवान हर कोई सपना देखता हैं ,और सिर्फ़ रात में ही नही दिन में भी सपने देखने चाहिए ,कयोकी जब हम बड़े बड़े ऊँचे ऊँचे सपने देखंगे तभी हमें जीवन में कुछ करने का हौसला मिलेगा ,बल मिलेगा ,इच्छा शक्ति मिलेगी ,उसी इच्छा शक्ति के बल पर हम जीवन में आगे बढ़ सकते हैं,कुछ लोग कहते हैं,बडे और ऊँचे सपने नही देखना चाहिए ,पर मैं कहती हूँ की इन्सान ने हमेशा बडे बडे और ऊँचे ही सपने देखने चाहिए,तभी हम अपने सपने पुरे कर पाएंगे ,और एक% उस सपने को जस का तस् पुरा नही भी कर पाए तो ,कुछ तो करेंगे,सपना सच होना बात अलग हैं और सच करना दूसरी. इसलिए खूब सपने देखे और दिखाए ,और उन्हें पुरे करने कि जी तोड़ कोशिश करे .क्योकि जैसे जैसे आपके सपने सच होते जायंगे आप ख़ुद को अधिक सक्षम ,और विश्वास युक्त पाएंगे.

1 comment:

दिनेशराय द्विवेदी said...

बिना सपने के तो इंन्सान एक कदम आगे नहीं रख सकता।